वज्रोली मुद्रा – vajroli mudra in Hindi
Contents
- 1 वज्रोली मुद्रा – vajroli mudra in Hindi
- 2 वज्रोली मुद्रा मंत्र – vajroli mudra Mantra
- 3 वज्रोली मुद्रा के फायदे – vajroli mudra benefits in Hindi
- 3.1 वज्रोली मुद्रा करने की विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
- 3.2 वज्रोली मुद्रा करने की पहली विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
- 3.3 वज्रोली मुद्रा करने की दूसरी विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
- 3.4 वज्रोली मुद्रा के नुकसान – vajroli mudra side effect in Hindi
- 3.5 वज्रोली मुद्रा करने की अवधि – vajroli mudra karne ki avdhi
- 4 🔹 वज्रोली मुद्रा की विधि (Vajroli Mudra Vidhi)
- 5 🌿 वज्रोली मुद्रा के लाभ (Benefits of Vajroli Mudra)
- 6 ⚠️ वज्रोली मुद्रा के दुष्प्रभाव (Side Effects & Precautions)
- 7 🧿 सावधानियाँ (Precautions)
- 8 📌 निष्कर्ष
दोस्तो आज हम आपको एक ऐसी मुद्रा के बारे में बताने की कोशिश करेंगे. इस मुद्रा का अभ्यास करने से यौन से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है. Vajroli mudra केवल योगा ही नहीं यह प्रणयन और क्रिया दोनों ही है. वज्रोली मुद्रा का अभ्यास करने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या में भी काफी फायदेमंद साबित होता है. ( योग मुद्रसाना )
इस आसन को करने की 2 विधि है. पहली विधि तो काफी आसान है. लेकिन दूसरी विधि थोड़ी मुश्किल है. दूसरी विधि को हठयोग के अंतर्गत किया जाता है. हठयोग करने से उन स्थानों को सफाई हो जाती है. जहां मल या गंदगी जमा रहती है. इस क्रिया को करने के बाद षट्चक्र वेधन की अन्य अभिवर्धन क्रियाएं की जाती है. लेकिन अभिवर्धन क्रिया को करने से पहले नाड़ी शोधन करना चाहिए. ( वजरोली मुद्रा )
यह सभी क्रियाएं अवरोध पैदा करने वाली है. यह ठीक वैसा ही जैसे – नदी में बांध बना कर उसमे से बिजली या नहर बनाई जाती है. ठीक उसी तरह हठयोग में भी होता है. इसमें मूत्र त्यागने वाले यंत्र को नीचे की तरह करके मूत्र को नीचे की ओर बहाते है. ( संभावी मुद्रा )
लेकिन वज्रोली मुद्रा में यह ठीक उल्टा काम करता है. इसमें यह जल को नीचे से ऊपर की ओर खींचने का कार्य करती है. लेकिन यह इतना आसान नहीं होता है. इसे करने में बहुत सी कठिनाई आती है. इसलिए अगर आप वज्रोली को हठयोग क्रिया के साथ करना चाहते हैं, तो आपको किसी योग विशेषज्ञ की सहायता लेनी चाहिए. ( योनि मुद्रा )
वज्रोली मुद्रा मंत्र – vajroli mudra Mantra
धरामवष्टभ्य करयोस्तलाभ्याम् ऊर्ध्वं क्षिवेत्पादयुगंशिरः खे। शक्तिप्रबोधाय चिरजीवनाय वज्रालिमुद्रां कलयो वदन्ति ॥४५॥
अयं योगो योगश्रेष्ठो योगिनां मुक्तिकारणम्। अयंहितप्रदोयोगो योगिनां सिद्धिदायकः ॥४६॥
एतद्योगप्रसादेन बिन्दुसिद्धिर्भवेद्ध्रवम्। सिद्धे बिन्दौ महायत्ने किं न सिद्ध्यतिभूतले ॥४७॥
भोगेन महता युक्तो यदि मुद्रां समाचरेत्। तथापि सकला सिद्धिस्तस्य भवति निश्चितम् ॥४८॥ ( मंडूकासना )
वज्रोली मुद्रा के फायदे – vajroli mudra benefits in Hindi
vajroli mudra का सबसे ज्यादा यौन से जुड़ी समस्या में होता है. अगर आप इस मुद्रा को करते है, तो यह आपके वीर्य जल्दी निकल जाने की समस्या से छुटकारा दिलाने में काफी मदद करती है. ( शीर्षासन )
वज्रोली मुद्रा करने से आपकी स्वप्नदोष की समस्या भी खत्म हो जाती है. अगर रोज़ाना इस मुद्रा का अभ्यास करते है. तो यह स्वप्नदोष की समस्या को दूर करने में काफी मदद करता है. इसके अलावा यह और भी कई प्रकार के यौन से जुड़ी समस्या में काफी फायदेमंद साबित होता है. ( कपालभाती प्राणायाम )
इस मुद्रा को नियमित करने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली या रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है. यह शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाने में काफी मदद करता है. अगर आप सुंदर दिखना चाहती है, तो आपको इस मुद्रा अभ्यास जरूर करना चाहिए. ( ध्यान मुद्रा )
वज्रोली मुद्रा करने की विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
vajroli mudra करने की 2 विधि है. पहली विधि थोड़ी आसान है. लेकिन दूसरी विधि काफी खतरनाक है. इसलिए हम आपको नीचे दोनों ही विधि के बारे में बताएंगे. आपको जो मुद्रा आसान लगे. उसी को करे. अन्यथा इससे आपको नुकसान भी हो सकता है. ( सूर्य नमस्कार )
वज्रोली मुद्रा करने की पहली विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
- 1. आपको पहले किसी भी ध्यानात्मक विधि में बैठ जाना है. यह विधि पद्मासन या सुखासन कोई भी हो सकती है.
- 2. जब आप इस स्थिति में बैठ जाएं. तब आप अपने दोनो हाथों को अपने घुटनों पर रखे. उसके बाद आप अपनी आंखों को बंद कर लें और नाक से लंबी सांस लेते रहे.
- 3. जब आप सांस ले, तो सांस को कुछ देर तक अपने अंदर रखे और इस दौरान अपने गुदाद्वार एवं अंडकोष के बीच के भाग को उपर की तरफ संकुचित करने का प्रयास करें.
- 4. उसके बाद आप इसकी में जितनी देर तक रह सकते है रहें. उसके बाद सांस को छोड़ दें. यह क्रिया आप धीरे धीरे आसानी से 10 से 15 बार रोज़ाना करें. आप इसको अपने हिसाब से जितनी बार दोहराना चाहते हैं दोहराएं. ( सूर्य नमस्कार )
वज्रोली मुद्रा करने की दूसरी विधि – vajroli mudra karne ki vidhi
1. जैसा कि हम आपको ऊपर इस विधि के बारे में बताया. यह दूसरी विधि हठयोग के अन्तर्गत आती है. इस क्रिया को शुरू करने के बाद रबड़ की एक पाइप को मूत्र मार्ग के अंदर हर दिन एक एक इंच करके डाला जाता है. इसे मूत्र के अंदर तक 10 इंच तक डाला जाता है.
2. उसके बाद इस क्रिया को करने के लिए चांदी या कांच से बनी पाइप का इस्तेमाल करके छेद किया जाता है. जब थोड़ी से छेद बन जाती है, जब यह क्रिया हो जाती है.
3. जब छेद थोड़ी बड़ी हो जाती है, तो इस उसके बाद इस क्रिया के अंतर्गत मूर्त मार्ग से पानी को अंदर खिचने का अभ्यास कराया जाता है. जब आसानी से आप पानी को अंदर की ओर खींच लेते है, तो इसके बाद शहद और दूध से भी इस क्रिया का अभ्यास किया जाता है.
4. इस क्रिया को केवल वही लोग कर सकते है, जो योग कला में माहिर हो या वो वर्षो से योगा करते आए हों. इसलिए इस क्रिया को करने से पहले किसी योग विशेषज्ञ की सहायता अवश्य लें. अगर योग गुरु आपको यह योग कला करने की सलाह ना दे, तो कृपया आप इस मुद्रा को ना करे.
वज्रोली मुद्रा के नुकसान – vajroli mudra side effect in Hindi
vajroli mudra करने की दो विधि है. पहली विधि को करना काफी आसान है. लेकिन दूसरी विधि करना इतना आसान नहीं है. इसे करना थोड़ा कठिन है. लेकिन अगर आप किसी योग विशेषज्ञ के सलाह लेने के बाद करना चाहिए या आप किसी योग विशेषज्ञ के साथ में इस मुद्रा को करना चाहिए. ( चंद्र नमस्कार )
वज्रोली मुद्रा करने की अवधि – vajroli mudra karne ki avdhi
vajroli mudra को आपको सुबह में खाली पेट में करना चाहिए. अगर आप सुबह सुबह कुछ खा लें. तो इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए. शुरुआत में आप इसे कम से कम करने की कोशिश करें. बाद में जब आप इसमें माहिर हो जाए, तो आप अधिक बार भी कर सकते है.
वज्रोली मुद्रा वीडियो – vajroli mudra video
नोट : अगर आपको vajroli mudra से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब चाहिए, तो आप हमसे email कर सभी सवालों के जवाब पा सकते है. हम आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे.
वज्रोली मुद्रा (Vajroli Mudra) योग की एक अत्यंत शक्तिशाली और गूढ़ तकनीक है, जिसका उद्देश्य यौन ऊर्जा का नियंत्रण और ऊर्ध्वगमन (ऊर्जा को ऊपर उठाना) होता है। यह मुख्यतः पुरुषों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, जबकि स्त्रियों के लिए सहजोली व अमरौली मुद्राएँ बताई जाती हैं।
🔹 वज्रोली मुद्रा की विधि (Vajroli Mudra Vidhi)
🧘 अभ्यास विधि:
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सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में आराम से बैठ जाएं। रीढ़ सीधी रखें और आंखें बंद करें।
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पूरे शरीर को शिथिल करें और ध्यान अपने मूलाधार चक्र (गुदा के पास) केंद्रित करें।
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अब मूत्रेंद्रिय (penile muscles) को अंदर और ऊपर की ओर खींचने का प्रयास करें — जैसे आप मूत्र रोकना चाह रहे हों।
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इसके साथ ही मूलबंध (गुदा संकोचन) और उड्डियान बंध का अभ्यास करें तो प्रभाव अधिक होता है।
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शुरुआत में यह क्रिया 10–15 सेकंड तक करें, धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
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इसका अभ्यास प्रतिदिन खाली पेट और शांत वातावरण में करें।
🔸 महत्वपूर्ण: शुरुआत में केवल मांसपेशियों को संकुचित करने का अभ्यास करें। किसी भी प्रकार का मूत्र द्वारा खिंचाव (fluid reabsorption) अभ्यास बहुत अनुभवी साधकों के लिए होता है।
🌿 वज्रोली मुद्रा के लाभ (Benefits of Vajroli Mudra)
⚙️ शारीरिक लाभ:
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वीर्य रक्षा (Semen Retention) में सहायक
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शीघ्रपतन, वीर्यस्राव जैसी समस्याओं में लाभदायक
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पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करता है
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प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य को बनाए रखता है
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मूत्र नली और जननांग प्रणाली को नियंत्रित करता है
🧘♂️ मानसिक व आध्यात्मिक लाभ:
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ब्रह्मचर्य पालन और आत्म-नियंत्रण में सहायक
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यौन ऊर्जा को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में रूपांतरित करता है (Ojas विकास)
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चित्त की एकाग्रता और ध्यान की गहराई बढ़ाता है
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कुंडलिनी जागरण की दिशा में सहायक
⚠️ वज्रोली मुद्रा के दुष्प्रभाव (Side Effects & Precautions)
संभावित जोखिम | विवरण |
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मांसपेशियों में खिंचाव | अभ्यास गलत ढंग से करने पर पेल्विक क्षेत्र में दर्द या तनाव हो सकता है |
यौन विचारों में वृद्धि | अनुशासनहीन अभ्यास मानसिक असंतुलन और यौन कुंठा बढ़ा सकता है |
वीर्य अवरोध से परेशानी | जबर्दस्ती रुकावट या गलत समय पर अभ्यास करने से स्खलन तंत्र में गड़बड़ी हो सकती है |
मनोवैज्ञानिक उलझन | बिना मार्गदर्शन के उर्जा का दमन मानसिक बेचैनी पैदा कर सकता है |
🧿 सावधानियाँ (Precautions)
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यह मुद्रा अनुभवी योगाचार्य की देखरेख में सीखनी चाहिए।
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गर्भवती महिलाएं, उच्च रक्तचाप, हर्निया, मानसिक रोगी यह मुद्रा न करें।
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मानसिक रूप से स्थिर और संयमी साधक ही इसका अभ्यास करें।
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यदि आप शुरुआती हैं, तो अश्विनी मुद्रा और मूलबंध से शुरुआत करें।
📌 निष्कर्ष
वज्रोली मुद्रा केवल एक शारीरिक योग अभ्यास नहीं है, यह एक ऊर्जा-प्रबंधन तकनीक है, जो ब्रह्मचर्य, आत्मसंयम और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक है। परंतु यह तभी फलदायी होती है जब इसका अभ्यास शुद्ध विचारों, संयम और सही मार्गदर्शन के साथ किया जाए।
यदि आप चाहें, तो मैं आपको वज्रोली मुद्रा का अभ्यास क्रमशः सीखने की प्रक्रिया (step-wise training) भी दे सकता हूँ।