चंद्र नमस्कार – chandra Namaskar in Hindi
Contents
- 1 चंद्र नमस्कार – chandra Namaskar in Hindi
- 2 चंद्र नमस्कार क्या है? – what is Chandra Namaskar in Hindi
- 2.1
- 2.2 चंद्र नमस्कार करने की विधि – Chandra Namaskar karne ki vidhi
- 2.3 चंद्र नमस्कार के फायदे – Chandra Namaskar benefits in Hindi
दोस्तों आज हम आपको चंद्र नमस्कार ( Chandra Namaskar ) के बारे में कई अहम जानकारी देंगे. जिसके बारे में आपको अवश्य ही जानना चाहिए. इस आसन का अभ्यास करने से हमारा संपूर्ण शरीर रोग मुक्त हो जाता है. ( योग मुद्रसाना )
chandra Namaskar भी सूर्य नमस्कार की तरह ही किया जाने वाला एक योग है. लेकिन इस आसन का अभ्यास आपको रात्रि में करना होता है, जबकि सूर्य नमस्कार का अभ्यास आपको सुबह सूर्योदय के समय करना होता है.
नीचे हम आपको सूर्य और चन्द्र नमस्कार के बीच के अंतर की जानकारी विस्तार से देंगे. जिससे आपको दोनों आसनों के बारे में जानना काफी आसन हो जाएगा. चंद्र नमस्कार के अभ्यास से हमारा मन काफी शांत और शीतल बना रहता है. जिससे हम अपने गुस्से पर आसानी से काबू पा लेते है.
इस आसन के नियमित अभ्यास से हमारा जीवन काफी हद तक संतुलित हो जाता है. जिससे हम अपनी जनदगी को सुचारू रूप से और आसानी से चला सकते है. चंद्र नमस्कार का नियमित रूप से अभ्यास करने से हमारे चेहरे पर एक आकर्षक चमक उत्पन्न हो जाता है. जिससे हम किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते है. ( वजरोली मुद्रा )
चंद्र नमस्कार क्या है? – what is Chandra Namaskar in Hindi
चंद्र नमस्कार ( Chandra Namaskar ) से पैरों से सिर तक संपूर्ण शक्ति शरीर को आरोग्य, शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बनता है. विजातीय द्रव्य तेजी से बाहर निकलते हैं. रक्त शोधन की प्रक्रिया तीव्र होती है. वात, पित्त कफ तीनों स्म होते हैं. नेत्र ज्योति बढ़ती है और त्वचा सुंदर होती है. यह मोटापा कम करने में भी सहायक है. ( संभावी मुद्रा )
जैसा कि आप जानते ही हैं कि चंद्रमा का खुदका प्रकाश नहीं है. वो सूर्य के प्रकाश से चमकता है. ठीक उसी तरह चंद्र नमस्कार सूर्य नमस्कार को भी दर्शाता है. आप एक बारे में कभी भी दोनों आसनों का अभ्यास नहीं कर सकते है. चंद्र नमस्कार सूर्य नमस्कार का बिल्कुल उल्टा है. ( योनि मुद्रा )
जैसे सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमारे शरीर में ऊर्जा और गर्मी उत्पन्न होती है. वैसे ही चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने से हमारे मन और शरीर को शीतलता प्राप्त होती है. इस आसन का अभ्यास पुरष और महिला सामान्य रूप से कर सकते है. क्यूंकि यह आसन दोनों के लिए काफी लाभदायक है. ( मंडूकासना )
चंद्र नमस्कार करने की विधि – Chandra Namaskar karne ki vidhi
चंद्र नमस्कार चंद्रमा के प्रति की जाने वाली योगी की स्थितियां हैं इसके अंतर्गत सूर्य नमस्कार के आसनों का भी समावेश होता है सूर्य नमस्कार में 12 स्थितियां होती है वही चंद्र नमस्कार में 14 स्थितियां होती है. ( शीर्षासन )
Chandra Namaskar के सभी 14 स्तिथियों के बारे में आपको नीचे विस्तार से जानकारी दी जाएगी. जिससे आपको चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने में कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े. ( कपालभाती प्राणायाम )
स्तिथि – 1 : ( नमस्कार ) नमस्कार करने के लिए सबसे पहले आप एक दरी या मोटी चादर बिछा लें. उसके बाद उसपर खड़े हो जाए. चंद्रमा की ओर अभिमुख होकर नमस्कार की मुद्रा में हाथो को वक्ष स्थल के सामने रखे. ( ध्यान मुद्रा )
स्तिथि – 2 : ( हस्त उत्तानासन ) अब स्वांस को अंदर भरते हुए हाथो को सामने से खोलकर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं. मेरुदंड को मोड़ें. दृष्टि को आकाश की ओर रखें.
स्तिथि – 3 : ( उत्तानासन ) अब हाथो को स्वाश बाहर निकालते हुए पीछे सामने की ओर झुकते हुए पैरो के पास भूमि पर स्पर्श कराएं. हथेलियों को भूमि से स्पर्श करते हुए सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें. ( भ्रामरी प्राणायाम )
स्तिथि – 4 : ( अश्व संचालन ) उत्तानासन करने के बाद बायां पैर पीछे की ओर खिसका दें. पंजा जमीन पर स्थिर रहें. दायां घुटना आगे की ओर तान कर रखे. घुटना छाती के सामने रहेगा एवं पैर की एड़ी भूमि पर टिकी रहेगी. दृष्टि आकाश की ओर हो. सास अंदर भर के रखें. ( सूर्य नमस्कार )
स्तिथि – 5 : ( अर्ध चंद्रासन ) संतुलन बनाते हुए अपने हाथों को नमस्कार मुद्रा में छाती के सामने से पीछे की ओर ले जाएं. दृष्टि ऊपर की ओर रखें. ठोड़ी जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं. हाथों को ऊपर की ओर खींचते समय पीठ और सिर को पीछे की ओर ताने व गहरी सांस ले. फिर सांस रोककर रखें. ( चंद्र नमस्कार )
स्तिथि – 6 : ( पर्वतासन ) सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आए और दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाते हुए पर्वतासन की स्थिति में आ जाए. शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं और से नीचे की ओर कुछ देर रुके.
स्तिथि – 7 : ( अष्टांग नमस्कार ) हाथों एवं पैरों के पंजों को स्थिर रखते हुए वक्ष: स्थल से भूमिका स्पष्ट करें. इस स्थिति में दोनों हाथ, दोनों पैर, दोनों घुटने, वक्ष स्थल एवं सिर या थोड़ी इन आठ अंगों के भूमि पर टिकने से यह अष्टांग आसन कहलाता है. इस स्थिति में सांस की गति सामान्य रखते हैं.
स्तिथि – 8 : ( भुजंगासन ) सांस को अंदर भरते हुए वक्ष स्थल को ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करने का प्रयास करें. हाथों की कोहनियां बगल में लगी हुई हो. आकाश की ओर दृष्टि रखें. कटी प्रदेश तक का भाग भूमि पर टीका हो एवं पीछे से दोनों पैरों को मिलाकर रखें.
स्तिथि – 9 : ( पर्वतासन ) सांस छोड़ते हुए दोनों एड़ियां जमीन से लगाने का प्रयास करें. शरीर का मध्य भाग ऊपर उठाएं और सिर नीचे की ओर रखें. ठोड़ी कंठ से के साथ लगाएं. कुछ देर रुके.
स्तिथि – 10 : ( अश्व संचालन ) चतुर्थी स्थिति के अनुरूप, किंतु अब सांस भरते हुए बायां पैर आगे दोनों हाथो के बीच ले आएं. गर्दन पीछे, कमर नीचे. इस स्तिथि में यथाशक्ति रुकें.
स्तिथि – 11 : ( अर्ध चंद्रासन ) अब संतुलन बनाते हुए अपने हाथो को नमस्कार मुद्रा में छाती के सामने से पीछे की ले जाएं. दृष्टि ऊपर की ओर रहें. ठोड़ी जितना हो सके, ऊपर की ओर उठाएं. हाथों को ऊपर की ओर खींचते समय एवं पीट और सिर को पीछे की ओर तानते समय गहरी सांस भरे. सांस रोककर रखें.
स्तिथि – 12 : ( उत्तानासन ) अब हाथो को सांस बाहर निकालते हुए, पीछे सामने की ओर झुकते हुए, पैरो के पास भूमि पर स्पर्श कराएं. हथेलियों को भूमि से स्पष्ट करते हुए, सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें.
स्तिथि – 13 : ( हस्त उत्तानासन ) सांस को अंदर भरते हुए हाथो को सामने से खोलकर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं. मेरुदंड को मोड़ें. दृष्टि को आकाश की ओर करें.
स्तिथि – 14 : ( नमस्कार ) चंद्रमा की ओर अभिमुख होकर नमस्कार की मुद्रा में हाथो को वक्ष स्थल के सामने रखें.
चंद्र नमस्कार के फायदे – Chandra Namaskar benefits in Hindi
चंद्र नमस्कार तन, मन व आत्मा का संपूर्ण व्यायाम है. शरीर अधिक लचीला बना रहता है और बुढ़ापे से बचने का सर्वोत्तम उपाय है. इससे प्रत्येक मांसपेशी, प्रत्येक जोड़, सातों चक्र, सातों अंतः स्त्रावी, हार्मोन ग्रंथि स्वस्थ रहती है. शरीर सुडौल व सुगठित बनता है.
इससे समस्त ग्रंथ प्रणाली, लघु मस्तिष्क व रीढ़ का जोड़, रीढ़ का सर्वाइकल भाग, फेफड़े और कंधे, पाचन तंत्र व नाभि मंडल, टांगो की नसें, उनकी मांसपेशियां, टखने, पैरों की उंगलियों के जोड़, भुजाओ तथा उनके जोड़, हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे, जिगर, सभी प्रणाली जैसी हस्ती प्रणाली, मांसपेशी प्रणाली, पाचन प्रणाली, रक्त संचार प्रणाली, श्वसन प्रणाली, निष्कासन प्रणाली, ग्रंथि प्रणाली, स्नायु तंत्र प्रणाली, प्रजनन प्रणाली एवं रोग प्रतिरोधक प्रणाली प्रभावित होते है.
चंद्र नमस्कार करने का समय – Chandra Namaskar karne ka samay
इस आसन यानी चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने में समय की भूमिका बेहद अहम है. इसलिए इस आसन का अभ्यास आपको सही समय पर करना चाहिए. जिससे आपको इस आसन का पूरा लाभ मिल सकें.
Chandra Namaskar का अभ्यास आपको रात के समय में करना चाहिए. रात में जब चंद्रमा जब आपके सामने हो. तब आपको इस आसन का अभ्यास करना चाहिए. इस आसन का अभ्यास जब आप करें. उस समय आपका लेट पूरी तरह से खाली होना चाहिए.
चंद्र नमस्कार करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Chandra Namaskar side effect in Hindi
चंद्र नमस्कार का अभ्यास करते वक्त आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. जिससे आप इसे ना सिर्फ आसानी से कर सकें. बल्कि इस आसन का अभ्यास करते वक्त होने वाले नुकसान से भी बचा जा सके.
- Chandra Namaskar का अभ्यास उन लोगो को नहीं करना चाहिए. जिन लोगो के कमर में अक्सर दर्द रहता है.
- इस आसन एक अभ्यास उन लोगो को भी नहीं करना चाहिए जिन लोगो की कमर की हड्डियां टूटी हुई हो. इससे आपके कमर में बहुत अधिक समस्या उत्पन्न हो सकती है.
- गर्भवती महिलाओं को चंद्र नमस्कार का अभ्यास करने से बचना चाहिए. क्यूंकि इस आसन का अभ्यास करने से उनके पेट पर अधिक दबाव पड़ सकता है. जिससे आपके होने वाले बच्चे को नुकसान पड़ सकता है.
- जो भी लोग चंद्र नमस्कार का अभ्यास करते है. उन लोगो को इस आसन का अभ्यास बहुत ही धीमी गति से करना चाहिए. जिससे आप इस आसन का पूरा आनंद ले सकें.
चंद्र नमस्कार और सूर्य नमस्कार में अंतर – difference between chandra and surya namaskar in Hindi
दोस्तों आम तौर पर हर कोई यही जानना चाहता है कि सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार में किया अंतर है. हम आपको नीचे सूर्य और चन्द्र नमस्कार से जुड़ी कई अंतर के बारे में बताएंगे. जिससे आपको आसानी से समझ में आ जाएगा.
अंतर 1 : सबसे पहली अंतर इस दोनों आसनों में यह है कि चंद्र नमस्कार को का अभ्यास आपको रात्रि में करना चाहिए और सूर्य नमस्कार का अभ्यास आपको सूर्योदय के समय में करना चाहिए. सही समय पर इन दोनों आसनों का अभ्यास करने से आपको अधिक लाभ प्राप्त होता है.
अंतर 2 : जहां सूर्य नमस्कार से आपको गर्मी, प्रकाश और गतिविधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होता है. वहीं चंद्र नमस्कार से आपको ध्यान, मेडिटेशन, ठंडक, शांति और ग्रहणशीलता कि जानकारी प्राप्त होती है. या आप ये के सकते हैं कि इन दोनों आसनों से हमे ये सभी लाभ प्राप्त होते है.
अंतर 3 : सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमारे शरीर में ऊर्जा का मात्रा में बढ़ोतरी होती है और हम कोई भी काम पूरी क्षमता से करते है. जबकि चंद्र नमस्कार हमारे शरीर को आराम करने में मदद करता है.
अंतर 4 : सूर्य नमस्कार करते समय व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास जल्दी से जल्दी करना होता है. जबकि अगर आप चंद्र नमस्कार करते है, तो इस आसन को आपको धीरे धीरे प्रेम पूर्वक और आराम से करना होता है.
अंतर 5 : सूर्य और चन्द्र नमस्कार में सबसे बड़ा अंतर यह है कि सूर्य नमस्कार में 12 आसनों का अभ्यास किया जाता है. जबकि चंद्र नमस्कार 14 आसनों का अभ्यास किया जाता है. और जब दोनों में आसनों का अभ्यास भी अलग अलग है.
चंद्र नमस्कार वीडियो – Chandra Namaskar videos
चंद्र नमस्कार. इस आसन का नाम आपने बहुत सुना होगा. Chandra Namaskar एक बेहतरीन आसन है. जिसके अभ्यास से हमारे शरीर को काफी लाभ पहुंचता है. लेकिन इसके लिए आपको इस आसन का अभ्यास सही तरीके से करना पड़ेगा.
इसलिए हमने आपके लिए Chandra Namaskar videos उपलब्ध कराई है. जिससे आप आसानी से ना सिर्फ चंद्र नमस्कार का अभ्यास कर सकेंगे. बल्कि इसकी बारीकियों को भी आसानी से समझ सकेंगे, जिससे आपको अधिक से अधिक लाभ होगा.
नोट : चंद्र नमस्कार ( Chandra Namaskar ) के बारे में लोगो में मन में कई तरह के सवाल उठते रहते है, जिसके बारे में लोगो को जानना बेहद जरूरी है. इसलिए अगर आपके मन में भी किसी तरह का सवाल उत्पन्न हो, तो आप हमसे संपर्क कर उन सभी सवालों का जवाब पा सकते है.
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