महावेध मुद्रा विधि, लाभ और सावधानियां – Mahavedh Mudra vidhi, Benefits and side effect in Hindi

महावेध मुद्रा – mahavedh mudra in Hindi

दोस्तों महावेध मुद्रा के बारे में आपन कभी ना कभी तो अवश्य ही सुना होगा. और mahavedh mudra के फायदों के बारे में भी अवश्य ही जानते होंगे. अगर नहीं जानते है, तो हम आपको अपने इस आर्टिकल में इस आसन से जुड़ी कई सवालों का जवाब देंगे. ( योग मुद्रसाना )

यह आसन हमारे पूर्वजों द्वारा किया जाता है. इनका ऐशा मानना था कि इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से हमारे पेट की अच्छी मालिश हो जाती है. जिससे हमारे पेट में कई बीमारियां उत्पन्न होने से बच जाती है. ( वजरोली मुद्रा )

महावेध मुद्रा क्या है? – what is mahavedh mudra in Hindi

यह आसन हमारे मन को शांति पहुंचने वाला आसन है. इसलिए इस आसन को महावेध मुद्रा के नाम से जाना जाता है. इस आसन से हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत हो जाता है. कब्ज और गैस की स्माम्या से भी छुटकारा मिलता है. ( संभावी मुद्रा )

इस आसन को करने से पूर्व कुछ सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए. महावेध मुद्रा का अभ्यास करते समय आपको अपने हाथो का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्यूंकि इस आसन को करने के लिए आपके हाथो का मजबूत होना बेहद जरूरी है. ( योनि मुद्रा )

महावेध मुद्रा करने की विधि – mahavedh mudra karne ki vidhi 

पद्मासन में बैठ जाएं. शरीर को शिथिल करें और आंखों को बंद कर ले. हथेलियों को जांघों के बगल में जमीन पर रखें. उंगलियां सामने की ओर रहे. भुजाएं सीधी किंतु तनाव रहित रहे. नासिका छिद्रों से धीमी और गहरी सांस अंदर ले. ( मंडूकासना )

सास को भीतर रोके और जालंधर बंध की क्रिया वाले प्रकारअंतर का अभ्यास करें. शरीर के पूरे भाग को हाथों पर डालते हुए और भुजाओं को सीधा रखते हुए शरीर को ऊपर उठाएं. सजगता को मूलाधार चक्र पर रखते हुए नितंबों को तीन बार धीरे-धीरे जमीन पर गिराए उठाएं. ( शीर्षासन )

मेरुदंड को सीधा रखें और जालंधर बंद लगाए रखें. नितंबों और जांघों का पिछला भाग एक साथ जमीन का स्पर्श करें. नितंबों को जमीन पर टिकाए. जालंधर बांध खोले और धीरे-धीरे गहरी सांस बाहर छोड़े. यह अंतिम स्थिति है. आप अपनी सुविधा अनुसार इसे दिनभर में चार या पांच बार कर सकते हैं. ( कपालभाती प्राणायाम )

महावेध मुद्रा के फायदे – mahavedh mudra benefits in Hindi

मन को अंतर्मुखी बनाने तथा अतिनिद्राक्षमताओं एवं पशुधन कुंडलिनी के जागरण के लिए यह एक शक्तिशाली अभ्यास है. पीनियल ग्रंथि को सक्रिय बनाकर अंतः स्त्रावी प्रणाली को उद्दीप्त किया जाता है. इससे पीयूष ग्रंथि नियंत्रित रहती है और हार्मोन का नियमित स्त्राव होता है. अपचय को घटाता है, जिससे वृद्धावस्था के लक्षण भी कम होते हैं. ( ध्यान मुद्रा )

महावेध मुद्रा करने का समय – mahavedh mudra karne ka samay

mahavedh mudra का अभ्यास आपको सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए. इससे आपको यह आसन करने में थोड़ी आसानी महसूस होगी. आप पहले सोच कर लें. उसके बाद आपको सुबह सूर्योदय के बाद इस आसन का अभ्यास आसानी से और धैर्यपूर्वक करें. ( भ्रामरी प्राणायाम )

महावेध मुद्रा करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – mahavedh mudra side effect in Hindi

दोस्तों किसी भी आसन को करने से पहले आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. इस आसन का अभ्यास करने से पहले आपको भी कुछ बातों का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए. जिससे आप इससे होने वाले नुकसान से बच सके. 

mahavedh mudra का अभ्यास केवल वहीं लोग करें. जो पतले हो. मतलब अधिक वजह वाले व्यक्ति को का आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. अगर आपके हाथो के किसी तरह की समस्या हो या चोट लग गया हो, तो आपको का आसन का अभ्यास करने से परहेज़ करना चाहिए.  ( सूर्य नमस्कार )

महावेध मुद्रा वीडियो – mahavedh mudra videos

mahavedh mudra का अभ्यास करना बेहद सरल है. कोई भी व्यक्ति अपने एक प्रयास से इस आसन का अभ्यास कर सकता है. आप महावेध मुद्रा का अभ्यास ज्यादा अच्छे तरीके से कर सके. इसलिए हम mahavedh mudra videos को इसमें शामिल कर रहे है. ( चंद्र नमस्कार )

नोट : mahavedh mudra से जुड़े किसी भी तरह के सवाल के लिए आप हमसे बिना झिझक के संपर्क कर सकते है. हम आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे. 

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