परिघासन विधि, लाभ और सावधानियां – Parighasana vidhi, benefits and side effect in Hindi

परिघासन – parighasana in Hindi

दोस्तों आज हम आपको परिघासन के बारे में विस्तृत में जानकारी देने की कोशिश करेंगे. आप अगर parighasana के बारे में जानते होंगे, तो आपको कुछ अधिक बताने की जरूरी नहीं है. ( योग मुद्रसाना )

यदि आप परिघासन के बारे में जानकारी रखते है, तो आपको कुछ अधिक बताने की जरूरत नहीं है. किंतु अगर आपको इस आसन की जानकारी नहीं है, तो आप इस आर्टिकल को पूरा पड़ सकते है. इस आर्टिकल को पूरा पड़ने से आपको काफी लाभ प्राप्त होगा. ( वजरोली मुद्रा )

parighasana के इस आर्टिकल में हम आपको परिघासन से जुड़े सभी तरह की जानकारी दी है. जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से इस आसन को कर सकें. इस आसन का अभ्यास करने से अनेक लाभ मिलते है. जो बहुत कम ही लोगों को ज्ञात होता है. ( संभावी मुद्रा )

परिघासन क्या है? – what is parighasana in Hindi 

शरीर स्वस्थ रहता है, तो पूरा जीवन बहुत सरल, सफल सफल हो जाता है. निरोग शरीर के लिए आहार, व्यायाम और निद्रा आवश्यक है. योग शास्त्र में योगासन को पूर्ण व्यायाम कहा है. जो शरीर को लचीला, सबल व निरोगी बनाता है. ( योनि मुद्रा )

परिघासन ( parighasana ) से पैरों से सिर तक पूरे शरीर को आरोग्य शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बनता है. विजातीय द्रव्य तेजी से बाहर निकलते हैं. इसके साथ ही और भी कई अन्य फायदे होते हैं इस आसन को करने के. जिसके बारे में नीचे विस्तार पूर्वक जानकारी दी जाती है. ( मंडूकासना )

स्वांस : भुजाओं को जमीन के समानांतर ऊपर उठाते समय सांस ले. बगल में झुकते समय सांस बाहर छोड़ें. अंतिम स्थिति में सामान्य श्वसन करें. यह आसन प्रत्येक दिशा में एक एक बार 1 मिनट तक करें.

सजगता : बगल में होने वाली खिंचाव और संतुलन बनाए रखें. ध्यान आज्ञा चक्र पर रहें.  ( शीर्षासन )

परिघासन करने की विधि – parighasana karne ki vidhi 

घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं. टखनों को एक साथ रखें. पैर की उंगलियां जमीन पर सपाट रहे और धड़ सीधा रहे. मानसिक रूप से पूरे शरीर को शिथिल करें. दाएं पैर को दाएं ओर बगल में फैला लें और उसे बाएं घुटने की सीध में रखें.

दाएं पैर की उंगलियों को थोड़ा अंदर की ओर मोड़ ले और दाएं पैर के तलवे को जमीन पर रखें. भुजाओं को अगल-बगल कंधों को ऊंचाई तक उठाएं, जिससे वे एक सीधी रेखा में रहे. धड़ एवं दाई भुजा को बगल में फैलाते हुए पैर की ओर ले जाएं. ( कपालभाती प्राणायाम )

दाएं भुजाओं के आगे के भाग और कलाई को क्रमशः पिडंली एवं टखने पर टिकाएं. दाईं हथेली ऊपर की ओर रहे. दाएं कान दाएं भुजा के ऊपरी भाग पर टिका रहेगा. बाएं भुजा को सिर के ऊपर से ले जाते हुए बाएं हथेली को दाईं हथेली के ऊपर रखे. अब बाया कान बाएं भुजा के ऊपरी भाग को स्पर्श करेगा. ( ध्यान मुद्रा )

यह सुनिश्चित कर लें, कि सिर और धड़ सामने की ओर रहे. ताकि शरीर का आगे का भाग एक तल में रहे. यह अंतिम स्थिति है. इस स्थिति में आराम पूर्वक 1 मिनट तक रहे फिर सीधे हो जाएं. दाहिने पैर को मोड़ने और टखनों को प्रारंभिक स्थिति में एक साथ रखते हुए घुटनों के बल बैठ जाएं. दूसरी ओर अभ्यास को दोहराया और उतनी ही अवधि तक अंतिम स्थिति में रुकें. ( भ्रामरी प्राणायाम )

परिघासन के फायदे – parighasana benefits in Hindi

इस आसन से श्रेणी प्रदेश एवं धड़ में बगल की ओर अच्छा खिंचाव उत्पन्न होता है. यह उधर की पेशियों एवं अंगों की मालिश करता है और उधर के समीप त्वचा को ढीला होने से बचाता है. परिघासन का प्रयोग करने से कूल्हे से लेकर पैर की सभी मांसपेशियों में खिंचाव आता है. ( सूर्य नमस्कार )

रीड की हड्डी में लचीलापन उत्पन्न होता है. पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है. पाचन, स्वसन एवं रक्त संचार को सुचारू बनाता है परिघासन. परिघासन से पैरों से सिर तक पूरे शरीर को आरोग्य शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बनता है.

विजातीय द्रव्य तेजी से बाहर निकलते हैं. रक्त शोधन की प्रक्रिया तीव्र होती है. वात, पित्त, कफ तीनों सम होते हैं. मोटापा कम करने में यह आसन सक्षम है. परिघासन शरीर में लचक पैदा करता है.,  ( चंद्र नमस्कार )

युवावस्था तक शरीर लचीला रहता है, लेकिन उसके बाद मांसपेशियां सख्त होने लगती है और विभिन्न अंगों में दर्द की शुरुआत इसी कारण से होती है. व्यायाम से सभी अंगों में रक्त संचार सुचारू रहता है. विषाक्त के तत्व बाहर निकल जाते हैं और सभी अंगों को समान रूप से प्राण ऊर्जा मिलती है. यही स्वस्थ जीवन और शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक उन्नति की आधारशिला है. 

परिघासन करने का समय – parighasana karne ka samay

किसी भी आसन को करने की एक समय सीमा होती है. उस समय सीमा में कोई भी आसन का अभ्यास करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है. अगर आप समय सीमा के बाद आसन का अभ्यास करते है, तो आपको इससे फायदा बहुत कम होता है. 

अगर आपको इस आसन का अभ्यास करना है, तो आपको इस आसन का अभ्यास सुबह के समय करना चाहिए. परिघासन का अभ्यास आपको सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए. इससे आपको जल्दी और ज्यादा लाभ प्राप्त होता है. सुबह सॉच करने के बाद आप इस आसन का अभ्यास करें.

परिघासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – parighasana side effect in Hindi

अगर आपको पेट में दर्द, अम्लता, कब्ज या दस्त हो, तो इस व्यायाम का अभ्यास ना करें. रक्तचाप, हृदय विकार, किडनी, अल्सर और हर्निया के रोगी इसे ना आजमाएं. गर्भाशय की समस्याओं से पीड़ित महिलाओं को परिघासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. 

किसी भी गर्भवती महिला को यह आसन नहीं करना चाहिए. इस व्यायाम में पेट और पैरों पर काफी जोर पड़ता है. इसलिए भोजन के तुरंत बाद इसे ना करें. भोजन के बाद कम से कम 2 या 3 घंटे का अंतर होना चाहिए या फिर आप भोजन से पहले ही इस आसन का अभ्यास करें.

परिघासन वीडियो – parighasana videos

परिघासन अगर किसी भी आसन को ज्यादा जल्दी और ज्यादा आसान तरीके से सीखना चाहते है, तो आपको उस आसन का अभ्यास वाला वीडियो अवश्य देखना चाहिए. इससे आपके सीखने की गति बड़ जाती है. इसी वजह से हम आपको वीडियो की सुविधा उपलब्ध करवाते है. 

नोट : परिघासन का अभ्यास करते समय अगर आपको किसी तरह को समस्या का सामना करना पड़ रहा है या आपके पास इससे जुड़ा कोई सवाल है, तो आप अवश्य ही हमे ईमेल करें. हम आपको आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे. 

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