सिद्धासन विधि, लाभ और सावधानियां – Siddhasana vidhi, benefits and side effect in Hindi

सिद्धासन – Siddhasana in Hindi

दोस्तों आज हम आपको जिस आसन या मुद्रा की जानकारी देने जा रहे है. उस आसन को करना तो बेहद आसान है. लेकिन उसके फायदे अद्भुत है. दोस्तों आज हम बात कर रहे है सिद्धासन की. वैसे देखा जाए तो Siddhasana का अभ्यास बेहद सरल है. ( योग मुद्रसाना )

कोई भी व्यक्ति आसानी से सिद्धासन का अभ्यास कर सकता है और इसके फायदे का लाभ प्राप्त कर सकता है. यह आसन मुख्य रूप से मन को शांति देने वाला आसन है. यह एक संस्कृत शब्द है. ( वजरोली मुद्रा )

सिद्धासन क्या है? – what is Siddhasana in Hindi

संस्कृत शब्द सिद्ध का अर्थ शक्ति और प्राणिता है. सिद्ध के अंतर्गत आतीद्रिय दृष्टि और दूर संवेदन के साथ कई अन्य ज्ञान शक्तियां जैसे इच्छा अनुसार सूचना शरीर धारण करने की योग्यता भी आती है. ( संभावी मुद्रा )

ऐसा विश्वास है कि सिद्धासन अथवा स्त्रियों के लिए सिद्ध योनि आसन इन्हीं शक्तियों के विकास में सहायक है. सिद्धासन ध्यान के अभ्यास के लिए अत्यंत श्रेष्ठ आसन है. विशिष्ट साधनों में इस आसन का उपयोग मलद्वार तथा ज्ञानेंद्रियों के मध्य विशेष दबाव के लिए किया जाता है. यह आसन केवल पुरुषों के लिए है. स्त्रियों के लिए इस आसन के समतुल्य सिद्ध योनि आसन है. ( योनि मुद्रा )

सिद्धासन करने की विधि – Siddhasana karne ki vidhi 

  • सबसे पहले आपको इस आसन का अभ्यास करने के लिए दरी या चटाई बिछा लेना चाहिए. उसके बाद पैरों को सामने फैला कर बैठ जाएं. ( मंडूकासना )
  • दाहिने पैर मोड़ने और लगभग बाईं एड़ी के ऊपर बैठते हुए दाहिने तलवे को जांघ के भीतरी भाग से इस प्रकार सटाकर रखें की एड़ी का दबाव मूलाधार ( प्रजनन अंग और गुदा के मध्य का भाग ) पर रहे.
  • शरीर को व्यवस्थित कर आरामदायक स्थिति में लाएं और एड़ी का दबाव बढ़ाए.
  • बाएं पैर को मोड़े और बाएं टखने को सीधे दाहिने टखने पर इस प्रकार रखें कि टखनों की हड्डियां परस्पर स्पष्ट करें और एरिया एक दूसरे के ऊपर रहे.
  • बाईं एड़ी से प्रजनन अंग के ठीक ऊपर स्थित जनअनिष्ट पर दवा डालें. इस प्रकार प्रजनन अंग दोनों एड़ियों के बीच आ जाएगा.
  • यदि अंतिम स्थिति कष्टदायक हो, तो केवल बाय एड़ी को जितना संभव हो, जंगनष्ट किए निकट रखें.
  • बाएं पैर की उंगलियों तथा पंजे को दाहिने पिंडली और जांघ की मांसपेशियों के बीच में फसाएं. यदि आवश्यक हो, तो हाथ के सहारे अथवा दाहिने पैर को अस्थाई रूप से थोड़ा व्यवस्थित कर इस स्थान को फैलाया जा सकता है. ( शीर्षासन )
  • दाहिने पैर की उंगलियों को पकड़कर बाय पिंडली और जांघ के बीच में फंसाए. पुनः शरीर को व्यवस्थित कर उसे आरामदायक स्थिति में लाएं.
  • मेरुदंड को स्थिर तथा सीधा रखें और ऐसा महसूस करें. कि आपका शरीर जमीन से जुड़ा हो. हाथों को बंद कर ले और पूरे शरीर को शिथिल करें.

सिद्धासन के फायदे – Siddhasana benefits in Hindi

इस आसन में भिन्नता इतनी है कि इस आसन में पैरानियम क्षेत्र में दबाव पड़ता है. यहां मूलबंध तथा वज्रोली मुद्रा जैसे विभिन्न योग क्रियाओं को साधने में आवश्यक है. क्रिया योग साधना में सिद्धासन तथा इन क्रियाओं का विशेष महत्व है.

मूलाधार चक्र के जागरण में भी इस दबाव का विशेष महत्व है. यही आसन महिलाएं करती है, तो उसे सीध योनि आसन कहते हैं. यह स्त्रियों के लिए आवश्यक आसान है. क्योंकि इनमें मूलाधार की स्थिति पुरुषों की अपेक्षा कुछ भिन्न होती है. ( कपालभाती प्राणायाम )

Siddhasana का सीधा प्रभाव स्त्रियों की जन्म प्रणाली संबंधित स्नायु नलिका ऊपर पड़ता है. साथ ही इसके नियमित अभ्यास से उन मस्तिष्क के संयोग ऊपर नियंत्रित प्राप्त करने में सहायता मिलती है. जिनका संबंध मूलाधार चक्र व संबंधित शारीरिक जननांगों से होता है. ( ध्यान मुद्रा )

सिद्धासन मेरुदंड के आतिथ्य में ऊर्जा को निम्न चक्रों से ऊपर की ओर प्रभावित करता है. जिससे मस्तिष्क उद्दीप्त होता है और संपूर्ण तंत्रिका तंत्र शांत होता है. पैर, लिंग के मूल में स्थित होकर मूलाधार चक्र को दबाता है. मूलबंध को उद्दीप्त करता है और ऊपर के पैर से जंहनस्टिह पर दिया गया दबाव स्वाधिष्ठान के प्रवचन बिंदु को दबाता है. इससे स्वत: वज्रोली शाजोली मुद्रा लग जाती है. ( भ्रामरी प्राणायाम )

परिणाम स्वरूप यौन ऊर्जा तरंग मेरुदंड से होकर मस्तिष्क तक पहुंच में लगती है, जिससे प्रजननसील हारमोंस पर नियंत्रित प्राप्त हो जाती है. दीर्घकाल तक सिद्धासन में बैठे रहने से मूलाधार क्षेत्र में झुनझुनी महसूस होती है, जो 10 से 15 मिनट तक रहती है ( सूर्य नमस्कार )

ऐसा उस क्षेत्र में रक्त संचार में कमी और निम्न चक्रों में प्राण शक्ति के परवाह के साथ पूर्णसंतुलन के कारण होता है. इस आसन से कुपाचन, पुराना जव्र, हृदय रोग, क्षय रोग, मधुमेह आदि ठीक होते हैं. ( चंद्र नमस्कार )

सिद्धासन करने का समय – Siddhasana karne ka samay

Siddhasana एक बेहतरीन आसन है. इसे सभी आसनों में श्रेष्ठ माना गया है. लेकिन इस आसन को करने का समय बेहद महत्व रखता है. सिद्धासन का अभ्यास आपको सुबह के समय खाली पेट में करना चाहिए. इस आसन का अभ्यास आपको सूर्योदय से पहले करना चाहिए. 

सिद्धासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Siddhasana side effect in Hindi 

हर तरह के आसन को करने से पूर्व उस आसन को करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए, ये बात जान लेना बेहद जरूरी है. इससे आप कई प्रकार की समस्या से बच सकते है. और आपका कुछ नुकसान भी नहीं होगा.  

  • साइटिका तथा संकरण संबंधी ग्रस्त लोगों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए. 
  • सिद्धासन का अभ्यास आपको भोजन ग्रहण करने के बाद नहीं करना चाहिए. उस आप सुबह सैच के बाद कर सकते है.
  •  Siddhasana का अभ्यास उन लोगो को नहीं करना चाहिए. जिन लोगों के जोड़ो में दर्द हो.
सिद्धासन वीडियो – Siddhasana videos

देखा जाए, तो Siddhasana का अभ्यास काफी सरल है. लेकिन इसकी बारीकियों को समझना बेहद जरूरी है. जिससे आपको अधिक से अधिक फायदा मिल सकें. अगर आप इस आसन को करने की बारीकियों के बारे में नहीं जानेंगे. तो आपके लिए इस आसन का अभ्यास व्यर्थ चला जाएगा. 

आप सिद्धासन का अभ्यास पूरी तरह से सही से कर सके. इसके लिए हम Siddhasana videos की सुविधा लेकर आए हैं. जिससे आप आसानी से इस आसन को कर सके और इस आसन का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें. 

नोट : सिद्धासन ( Siddhasana ) का अभ्यास बेहद सरल है लेकिन अगर आपके मन में इस आसन को लेकर किसी तरह को आशंका बनी हुए है, तो आप हमसे बिना किसी परेशानी के संपर्क कर सकते है. हम आपके सभी तरह के सभी सवालों का जवाब देने का पर्यटन करेंगे.

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