बकासन – Bakasana in Hindi
दोस्तों आज हम आपको बकासन के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे. इस आसन को करने से ढेरों लाभ प्राप्त होते है. Bakasana का अभ्यास बेहद ध्यानपूर्वक करना चाहिए. हल्की सी गलती भी आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. ( योग मुद्रसाना )
शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का सबसे बढ़िया तरीका है योग. आजकल जंग फूड के ज्यादा प्रयोग और अनियमित दिनचर्या होने से शरीर का बेडौल हो जाना आम हो गया है. यदि आप अपने पाचन तंत्र और उसके किर्या को मजबूत करना चाहते हैं. ( वजरोली मुद्रा )
शरीर के किसी भी अंग के मोटापे से परेशान है, तो बकासन आसन करने से इसमें आपको बहुत मदद मिलेगी. आपका शरीर चुस्त रहेगा और सभी में अध्यक्ष चर्बी काफी कम होगी. अधिकतर लोगों की शारीरिक गतिविधियों में सामने भी नहीं रहता है.
इसके कारण असंतुलन आता है. इस समस्या में बकासन बेहद उपयोगी है, जो शारीरिक संतुलन लाता है. इससे अचेतन रूप से होने वाले शारीरिक हलचल समाप्त हो जाती है. और भी कई फायदे होते हैं, जिसके बारे में आपको जानना बेहद जरूरी है. ( संभावी मुद्रा )
बकासन क्या है? – what is Bakasana in Hindi
शरीर स्वास्थ्य है, तो संपूर्ण जीवन की यात्रा सफल हो जाती है. निरोग शरीर के लिए सामान्य आहार, व्यायाम और निंद्रा अति आवश्यक है. योग शास्त्र में योगासन को पूर्ण व्यायाम कहा है, जो शरीर को लचीला व निरोगी बनाता है.
इस आसन को करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है. अधिकतर लोगों की शारीरिक गतिविधियों में नहीं रहता है. इसके कारण असंतुलन आता है. इससे शरीर को अचानक गिरने या चीजों से टकराने से बचने के लिए लगातार प्रयास करते रहना पड़ता है. ( योनि मुद्रा )
संतुलन के आसन मस्तिष्क केंद्र, लघु मस्तिष्क को विकसित करते हैं. यह शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करता है. बकासन शारीरिक संतुलन बनाते हैं, जिससे अचेतन रूप से होने वाले शारीरिक हल चल समाप्त हो जाती है.
जैसे-जसे गतिमान शरीर संतुलन प्राप्त करता है वह सेवा सेवा सहारे एवं आगे पढ़ने के लिए अन्य बलों जैसे गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर रहने के लिए अधिक स्वतंत्र हो जाता है संतुलन की आशंका पूर्वक करने के लिए जिस जागरूकता की आवश्यकता होती है ( मंडूकासना )
उससे भावनात्मक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तरों पर भी एकाग्रता और संतुलन का विकास होता है. बकासना संतुलन के आश्रम से एक बेहतरीन ऑप्शन है. इसका अभ्यास हमें नियमित रूप से करना चाहिए. इस आसन को नियमित रूप से अनेक फायदे मिलते है. ( शीर्षासन )
बकासन करने की विधि – Bakasana karne ki vidhi
उकरू होकर बैठ जाएं और पंजों को एक दूसरे से अलग कर ले. पैरों की उंगलियों पर सही से संतुलन बनाकर हथेलियों को पंजों के ठीक सामने जमीन पर रखें. यह याद रहे की उंगलियां सामने की ओर रहे. कहानियों को थोड़ा मोड़ ले और सामने की ओर झुके. घुटना को इस प्रकार रखें, कि उनका भीतरी भाग भुजाओं के बाहरी भाग को, जितना अधिक निकट हो सके स्पर्श करता रहे. ( कपालभाती प्राणायाम )
इसके बाद थोड़ा और आगे झुके और पंजों को जमीन से ऊपर उठा ले. घुटने को दृढ़ता से भुजाओं के ऊपरी भाग पर टिका कर दोनों हाथों पर अपना संतुलन बनाए. अब पंजों को मिला ले. नासिक ग्रह पर दृष्टि केंद्रित करें. ( ध्यान मुद्रा )
जब तक आप आराम पूर्वक रुक सकते हैं रुके. अपनी अंतिम स्थिति में रुके रहें. धीरे-धीरे पंजों को नीचे जमीन पर लाएं. अंतिम स्थिति में कुछ समय के लिए रहना हो. तो श्वास अंदर रोक ले. यदि लंबे समय तक रुकना हो. तो सामान्य श्वसन करें. अंतिम स्थिति में लौटते समय श्वास अंदर ही रोक.
बकासन के फायदे – Bakasana benefits in Hindi
Bakasana आसन तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है. भुजाओं और कलाइयों को मजबूत बनाता है तथा शारीरिक संतुलन का विकास करता है. पेट के सभी अंगों की मालिश अच्छे तरीके से हो जाती है. जिससे हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है. छाती और कंधों को मजबूत करता है. ( भ्रामरी प्राणायाम )
इस आसन को वजन कम करने के लिए सबसे उत्तम आसन माना जाता है. इस आसन को करने से भूख अधिक लगता है. कब्ज और अपच जैसे रोग दूर होते हैं. यह आसन डायरिया, मधुमेह, एसिडिटी और अनचाहे वायु विकारों से भी छुटकारा दिलाता है. ( सूर्य नमस्कार )
इस आसन को करने से रीढ़ में लचीलापन आता है. और उसके दोष दूर हो जाते हैं. इससे बहुत हद तक कमर दर्द भी दूर हो जाता है या आसन फेफड़ा और ह्रदय को भी मजबूत बनाता है ऐशा डॉक्टरों का मानना है. ( चंद्र नमस्कार )
बकासन करने का समय – Bakasana karne ka samay
इस आसन का अभ्यास सही समय पर करना बेहद जरूरी है. जिससे आपको किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. इस आसन का अभ्यास सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए. जिससे इस आसन का अभ्यास आसानी से किया जा सके.
अवधि : एक ही बार आसन में दो या तीन मिनट तक रुके. आपको कई बार ऊपर नीचे करने का अभ्यास करें.
सांस : यदि अंतिम स्थिति में कुछ समय के लिए रहना हो, तो सांस अंदर रोक लें. यदि लंबे समय तक रुकना हो, तो सामान्य सांस लें.
सजगता : शारीरिक संतुलन बनाए रखने पर ध्यान दें. अध्यात्मिक नासिकाग्रह दृष्टि की भांति नासिकाग्रह पर.
सीमाएं : उच्च रक्तचाप, हृदयरोग या मस्तिष्क के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए.
अभ्यास टिप्पणी : इस आसन में पेशियों की दृढ़ता या पेशीय सामर्थ्य से भी अधिक समनवय की आवश्यकता होती है.
क्रम : इस आसन के बाद स्वासन या असवासन करें.
बकासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Bakasana side effect in Hindi
इस आसन का अभ्यास करते समय पेट खाली रहना जरूरी है. इसलिए जितना हो सके इसे सुबह ही करना ठीक रहता है. बकासन करने से रक्त संचार में तीव्रता आती है. यह रक्त के विकारों को अधिक मात्रा में बाहर निकालता है.
जो शुद्धिकरण प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है. इसलिए कोई भी विपरीत आसन करने के तुरंत बाद बकासना नहीं करना चाहिए. इससे रक्त संबंधी विकारों के मस्तिष्क की ओर चले जाने की आशंका रहती है. बकसना का अभ्यास सब आसनों के अंत में करना उपयुक्त होता है.
बकासना का अभ्यास उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, हर्निया, गर्भवती महिला, मासिक चक्र के दौरान शारीरिक कमजोरी में या किसी प्रकार की बीमारी आदि में ना करें. बकासन संतुलन का आसन है अतः बहुत धीरे संभलकर गद्दे के ऊपर ही करें ताकि फिसलने पर शरीर को चोट ना लगे. कोई भी पीड़ा या दर्द हो तो आसन रोककर विश्राम कर ले.
Bakasana का अभ्यास आप ज्यादा अच्छे तरीके से कर सकें. इसके लिए हम आपको वीडियो की सुविधा उपलब्ध करा रहे है, जिससे आपको बकासन का अभ्यास करने से किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.
नोट : अगर आपको बकासन ( Bakasana ) से जुड़ा कोई भी समस्या उत्पन्न हो रही है, तो आप हमे बिना किसी झिझक के ईमेल कर सकते है. हमारी विशेष टीम आपको अवश्य ही उस सवाल का जवाब देगी.