द्विपाद शीर्षासन विधि, लाभ और सावधानियां – Dwi Pada Sirsasana vidhi, benefits and side effect in Hindi

द्विपाद शीर्षासन – Dwi Pada Sirsasana in Hindi

दोस्तों आज हम आपको Dwi Pada Sirsasana के बारे में आपको जानकारी देने की कोशिश करेंगे. क्यूंकि इस आसन का अभ्यास करने से अद्भुत लाभ होते है. जिसके बारे में लोगो को जानना बेहद जरूरी है. जिससे उन्हें भी अनेक लाभ मिल सकें. ( योग मुद्रसाना )

इस आसन कि सबसे खास बात यह है कि यह आसन आपके पेट की चर्बी को कम करने में काफी मदद करता है. इस आसन का अभ्यास केवल वहीं लोग कर सकते है, जिन लोगो को योगा की अच्छी जानकारी हो. पहली बार करने वालो के लिए यह आसन काफी कठिन है. ( वजरोली मुद्रा )

द्विपाद शीर्षासन क्या है? – what is Dwi Pada Sirsasana in Hindi

द्विपाद शीर्षासन तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में सहायक होता है. यह आसन उधर के दोनों भावों पर दबाव डालता है. आंतरिक अंगों की अच्छी मालिश करता है. कर्मा कुंजन को उद्दीप्त करता है और कब्ज मिटाता है. यह प्रजनन अंगों को भी पुष्ट करता है. ( संभावी मुद्रा )

पंच कर्मेद्रियों में हाथ व पैरों का बहुत महत्व है. क्योंकि यह दोनों ही जीवन यापन व पूर्ण योग के लिए बेहद जरूरी है. पैर जीवन को गति देता है. यह हमें पोषित करने में सबसे अधिक सहायक है. ( योनि मुद्रा )

आज बहुत से लोग टखना, घुटना और हिप के जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं. द्विपद शीर्षासन सभी जोड़ों व दोनों पैरों को लचीला सबल व मजबूत बनाता है. साथ ही मोटापा, अतिकाय एवं पेट से जुड़ी समस्याओं में भी बहुत लाभकारी है. ( मंडूकासना )

द्विपाद शीर्षासन करने की विधि – Dwi Pada Sirsasana karne ki vidhi 

  • दोनों पैरों को सामने फैला कर बैठ जाएं. दाहिने घुटने को थोड़ा बाहर की ओर घुमाते हुए मोड़े. दाहिनी भुजा को पिंडली के नीचे ले आए और पैर के बाहरी भाग को ठीक टखने के ऊपर पकड़ ले. 
  • बाएं भुजा को ऊपर उठाएं और दाहिने टखने के बाहरी भाग को पकड़ लें. दाहिनी भुजा को इस प्रकार व्यवस्थित करें, कि कोहिनी और जांघ पैर के निचले भाग के बीच में रहे.
  • भुजाओं और हाथों के सहारे दाएं पैर को ऊपर उठाएं, जैसे ही पैरों पर उठे, धड़ को आगे झुका लें और थोड़ा बाईं ओर मोड़े. पंजे को दाहिने कंधे के ऊपर रखें. जोर ना लगाएं. ( शीर्षासन )
  • दाहिने हाथ की पकड़ ढीली कर दें. बाई भुजा का उपयोग करते हुए और बाएं भुजा के ऊपरी भाग से जांग को पीछे की ओर खिसकात हुए दाहिने पैर को ऊपर उठाएं. बिना अधिक जोर लगाए दाएं पंजे को सिर के पीछे गर्दन को पिछले भाग पर रख दे.
  • यह स्थिति पिंडली के नीचे गर्दन को आगे झुकाने से प्राप्त होती है और इस स्थिति में पिंडली कंधे पर टिकी रहती है. अंत में हाथों को प्रणाम मुद्रा में वक्ष के सामने पुरोहित केंद्र पर रखे.
  • मेरुदंड को सीधा करने का प्रयास करें और सिर को सीधा रखें. यह अंतिम स्थिति है. आंखों को बंद कर ले और जितनी देर सुविधा पूर्वक संभव हो, इस स्थिति में रहे. धीरे से पैर को मुक्त कर प्रारंभिक स्थिति में लौट आए. दूसरे पैर से अभ्यास की पूर्ण आवृत्ति करें.
  • इस आसन को करें और कुछ समय तक सामान्य सांस लें. सांस छोड़ें. बाएं हाथ से बाएं टखने को पकड़ ले. जांघो को ऊपर और पीछे की ओर खिंचे और पैर को Dwi Pada Sirsasana की तरह पाएं बाएं कंधे पर रखेंं.
  • एड़ियों कैचीनुमा आकार में एक दूसरे के ऊपर रखकर पंजों को गर्दन के पीछे आपस में फंसा ले. जोर ना लगाएं. हाथों को नितंबों के बगल में जमीन पर रखे और शरीर को अनुत्तरित पर संतुलित करें. जब संतुलन स्थापित हो जाए, तब निम्नलिखित चरणों का अभ्यास करें. ( कपालभाती प्राणायाम )
  • चरण 1 : हथेलियों को प्रार्थना की मुद्रा में वक्ष के सामने रखकर सामान्य श्वसन करें. इस स्थिति में 10 से 30 सेकंड तक रहे. फिर हथेलियों क नितंबों के बगल में रखें.
  • चरण 2 : कहानियों को सीधा करें. स्वास छोड़े और हाथों पर संतुलन बनाते हुए संपूर्ण शरीर को जमीन से ऊपर उठा लें. टखनों को आपस में फसाए रखें. इस स्थिति में जितनी देर सुविधा पूर्वक रह सके रहे. फिर धीरे से शरीर को जमीन पर वापस ले आए.

द्विपाद शीर्षासन के फायदे – Dwi Pada Sirsasana benefits in Hindi

यह आसन तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में सहायक होता है. यह उदर के दोनों भागों पर दबाव डालता है. आंतरिक अंगों की अच्छी मालिश करता है. कर्मा कुंजन को उद्दीप्त करता है और कब्ज मिटाता है. यह प्रजनन अंगों को पुष्ट करता है और उनसे संबंधित विकारों को दूर करता है. ( ध्यान मुद्रा )

इस आसन के अभ्यास से पैरों में रक्त संचार बढ़ता है और चक्रों में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है. रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है. इससे शरीर और मन की ओजस्विता में वृद्धि होती है. Dwi Pada Sirsasana नितंब, कमर व घुटनों के जोड़ों को सक्रिय, शक्तिशाली व लचीला बनाता है. ( भ्रामरी प्राणायाम )

पेट, कमर, नितंब, जनगांव, पिंडलियों को सबल व सशक्त करता है. रोज 5 से 10 मिनट करने से पैर के सब जोड़ पूर्ण स्वस्थ रहते हैं. व पूरा पैर मजबूत होता है. लगातार आसन करने से पेट की चर्बी कम होती है. ( सूर्य नमस्कार )

द्विपाद शीर्षासन करने का समय – Dwi Pada Sirsasana karne ka samay

Dwi Pada Sirsasana करने की समय की बात करे, तो इस आसन को आपको सुबह के समय में खाली लेट करना चाहिए. क्यूंकि इस आसन को करने से पेट पर दबाव पड़ता है. खाना खाने के बाद इस आसन का अभ्यास ना करें. इससे आपको उल्टी भी हो सकती है. ( चंद्र नमस्कार )

द्विपाद शीर्षासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Dwi Pada Sirsasana side effect in Hindi

Dwi Pada Sirsasana का अभ्यास करते वक्त आपको सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए, क्यूंकि इस आसन को सही से ना करने से काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इस आसन को करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. 

द्विपाद शीर्षासन वीडियो – Dwi Pada Sirsasana videos

Dwi Pada Sirsasana का अभ्यास करना एक कठिन कार्य है. क्यूंकि इस आसन का अभ्यास केवल वहीं लोग कर सकते है. जो योगा के बारे में अच्छी जानकारी रखते है और काफी सालों से योगा करते आए हो. जो अभी नए नए लोग योगा कर रहे है. 

उन्हे इस आसन का अभ्यास करने से बचना चाहिए या किसी योगा विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. अगर आप इस आसन का अभ्यास करना चाहते है, तो आप इसके लिए Dwi Pada Sirsasana videos का सहारा ले सकते हैं. इसमें आपको इस आसन को सीखने में काफी आसानी होगी. 

नोट :  Dwi Pada Sirsasana का अभ्यास करना काफी मुश्किल कार्य है. इसलिए अगर आपको इस आसन को करने में किसी तरह की समस्या आ रही हो या आपके पास इस आसन से जुड़ा कोई सवाल हो, तो आप हमे e-mail करें. 

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