वृक्षासन विधि, लाभ और सावधानियां – Vrikshasana vidhi, benefits and side effect in Hindi

वृक्षासन – Vrikshasana in Hindi

दोस्तों आज हम आपको वृक्षासन ( Vrikshasana ) के बारे में विस्तार से कई अहम जानकारी देने की कोशिश की जाएगी. वृक्षासन का अभ्यास करने का एक अलग ही महत्व है. इस आसन का अभ्यास जो भी व्यक्ति सही तरीके से करता है. इस आसन को English में ट्री पोज ( tree pose ) के नाम से जाना जाता है. ( योग मुद्रसाना )

उस व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों से काफी फायदा मिलता है. वृक्षासन हमारे मन को शांत करने का कार्य करता है. वृक्षासन दो शब्दो का मेल है. जिसमें वृक्ष का मतलब पेड़ होता है और आसन का मतलब योगा होता है. इसलिए इस आसन को वृक्षासन कहा जाता है. ( वजरोली मुद्रा )

वृक्षासन क्या है? – what is Vrikshasana in Hindi

योगासन योग्य अभ्यास की पहली सीढ़ी है, जो शरीर को पूर्ण  निरोग करने में सहायक है. वृक्षासन में शरीर एक वृक्ष के समान स्थिर व अडिग आकृति बनाता है, जो शरीर व मन के तल पर आरोग्यता और स्थिरता प्रदान करता है. ( संभावी मुद्रा )

योगासन धीमी गति से ढीले कपड़े पहन का आनंद की अनुभूति करते हुए करना चाहिए. योग खुली हवा में अथवा हवादार कमरे में करना चाहिए. जब हम शरीर को फैलाए तो, सांस अंदर ले और जब हम शरीर को खोल, तो सांस को बाहर छोड़ें और यदि हमें कुछ समझ में ना आए. तो अपनी मर्जी के अनुसार सांस लें. ( योनि मुद्रा )

योग्य व्यक्ति की चेतना को, आत्म चेतना के केंद्र से जोड़कर उसके अंतर्निहित शक्तियों का जागृत करता है. इन शक्तियों के जागरण से व्यक्ति पूर्ण आरोग्य, स्वस्थ व आनंद को प्राप्त होता है. जिससे हमारे शरीर निरोगी बन जाता है.  

वृक्षासन से पहले किया जाने वाला आसन – Vrikshasana se pehle kiya jane wala asana 

कुछ आसनों का अभ्यास अगर आप वृक्षासन का अभ्यास करने से पहले करते है, तो यह ना सिर्फ आपको अधिक फायदा देगा, बल्कि इस आसन का अभ्यास करने में आपको काफी आसानी भी होगी. वृक्षासन का अभ्यास करने से पूर्व आप नीचे दिए गए आसनों का अभ्यास कर लें. ( मंडूकासना )

  • बद्ध कोणासन ( Baddha Konasana )
  • उत्थित त्रिकोणासन ( Utthita Trikonasana )
  • वीरभद्रासन 2 ( Virabhadrasana 2 )

वृक्षासन करने की विधि – Vrikshasana karne ki vidhi 

  • इस आसन में शरीर की आकृति वृक्ष के समान बनती है. इसलिए किसी खुले बगीचे में दरि या चटाई बिछा लें. उसके बाद सीधे खड़े हो जाएं. ( कपालभाती प्राणायाम )
  • शरीर का भार बाएं पैर पर डाल दे. फिर अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए, इसके तलवे को बाएं टांग की जांघ के साथ लगा दे.
  • बाएं पैर पर सारा शरीर का वजन संतुलित करते हुए सीधे खड़े हो जाएं. जब संतुलन ठीक से बन गया हो, तब अपने दोनों हथेलियों को प्रणाम की मुद्रा में लाते हुए हृदय चक्र पर रखें.
  • अब गहरी सांस लेते हुए, अपने जुड़े हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं व तान लें. ( शीर्षासन )
  • सिर को सीधा रखें और सामने की ओर देखें. आसन को स्थिर बनाने के लिए सामने की तरफ किसी एक जगह पर दृष्टि केंद्रित करें और उसे लगातार देखते रहे. यह आसन की पूर्ण स्थिति है.
  • आसन में क्षमता अनुसार 10 सेकंड से 1 मिनट तक रुके. फिर सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को दाएं बाएं तरफ से, नीचे की ओर लाएं व दाहिने पैर को जमीन पर पूर्ण स्तिथि में लाएं.
  • यही क्रिया दाहिने पैर में खड़े होकर भी करें. शुरू में संतुलन बनाने में कठिनाई होगी, लेकिन अभ्यास करने से आसन को आसानी से कर पाएंगे. ( ध्यान मुद्रा )
  • इस प्रक्रिया को दो से तीन बार रोजाना दोहराएं. बाद में इस आसन का अभ्यास करने के लिए समय बढ़ाया जा सकता है.

वृक्षासन के फायदे – Vrikshasana benefits in Hindi  

जिस तरह आपने ऊपर के लाइनों में आपको वृक्षासन ( Vrikshasana ) से जुड़े सभी सभी सवालों का जवाब मिला है. ठीक उसी तरह हम आपको इस आसन के फायदों के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास करेंगे. जिससे इसके लाभ से वंचित ना रह जाए. ( भ्रामरी प्राणायाम )

इस आसन को करने से हमारा शरीर तनाव मुक्त होता है. यह आसन करने से पैरों में मजबूती व लचीलापन आता है. आसन के नियमित अभ्यास से वजन को कम किया जा सकता है. जांघ व पिंडलियों की चर्बी को घटाने में सहायक है तथा कमर को चर्बी भी कम होती है. जिससे आपको अपने कमर को भी कम करने में मदद मिलती है. ( सूर्य नमस्कार )

वृक्षासन के नियमित से याददाश्त बढ़ती है और मन भी शांत रहता है. यह आसन उन लोगों को खासतौर पर करना चाहिए, जिन लोगों को बहुत ज्यादा चलना पड़ता है या धावक है. इस आसन को करने से हमारे पैरो को मजबूती मिलती है.  

इस आसन से रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे हिर्दय को अधिक मात्रा में रक्त मिलता है और हृदय की कार्य क्षमता अधिक बढ़ जाती है. वृक्षासन करने से हमे नेत्र रोगों में काफी आराम मिलता है. बालों का पकना, झरना व गिरना काफी कम या दूर हो जाता है. अगर हमारे चेहरे पर कील मुंहासे है, तो यह आपके कील मुहांसे को दूर करता हैं. भुजाओं में ताकत एवं पूर्ण ब्रह्मचारी की प्राप्ति होती है. ( चंद्र नमस्कार )

बच्चों को इस आसन का अभ्यास कराने से कद बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. इसका नियमित अभ्यास से डिप्रेशन से निजात मिलता है. यह रीड की हड्डी को मजबूत करते हुए उसे स्वस्थ रखता है. साइटिका में यह आसन बेहद लाभकारी है. स्नायु तंत्र को सबल व क्षमता वान बनाता है. 

वृक्षासन के बाद किया जाने वाला आसन – Vrikshasana ke baad kiya jane wala asana 

Vrikshasana का अभ्यास जब आप पूरी तरह से कर लें, तो उसके बाद आप नीचे दिए गए आसनों का अभ्यास करें. इससे लाभ ही लाभ प्राप्त होगा और आप जल्दी थकेंगे भी नहीं. 

  • उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन ( Utthita Hasta Padangusthasana )
  • अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन ( Ardha Baddha Padmottanasana )

वृक्षासन करने का समय – Vrikshasana karne ka samay

नाम से ही पता चलता है कि इस आसन का अभ्यास करते वक्त आपको अपने शरीर की आकृति वृक्ष के समान बनानी पड़ती है. इसलिए वृक्षासन का अभ्यास आपको किसी बंगीचे में करना चाहिए. आप सुबह के समय में वृक्षासन का अभ्यास कर सकते है. यह समय इस आसन के लिए सबसे उपयुक्त होता है. 

ट्री पोज यानि वृक्षासन का अभ्यास आप जब भी करें, उससे पहले किसी भी तरह का भोजन ग्रहण ना करें. अगर आप इस आसन का अभ्यास सुबह उठने के बाद ही करेंगे तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. 

इस आसन का अभ्यास या तो आपको खाली पेट में करना चाहिए. यदि आपने भोजन ग्रहण कर किए है, तो आपको कम से कम 4 से 5 घंटे का इंतेजार करना चाहिए. उसके बाद ही आपको वृक्षासन का अभ्यास करना चाहिए. अगर भोजन करने के बाद इस आसन का अभ्यास करते है, तो इससे आपको किसी तरह का फायदा नहीं मिलता है. 

वृक्षासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Vrikshasana side effect in Hindi

वृक्षासन एक बहुत ही बेहतरीन आसन है और इसके लाभ भी बहुत अधिक है, इस बात का कोई संदेह नहीं है. लेकिन इस आसन अभ्यास करते वक्त भी आपको कुछ सावधानी अवश्य बरतनी पड़ती है. अगर आप इस आसन का अभ्यास करते समय सावधानी नहीं बरतते हैं, तो इससे आपको काफी नुकसान भी पहुंच सकता है. 

बहुत से लोगो की इस आसन का अभ्यास करना वर्जित है. इसका अभ्यास उन लोगों को को नहीं करना चाहिए. जिन लोगो के सिर में दर्द की समस्या बनी रहती है. ऐसे लोगों को वृक्षासन करने से बचना चाहिए. ब्लड प्रेशर के रोगियों को भी आसन नहीं करना चाहिए. 

जिन लोगों को नींद ना आने की शिकायत रहती है, उन्हें भी इस आसन से दूर रहन चाहिए. जिन लोगों को घुटनों में ज्यादा दर्द हो, एड़ियों में अधिक दर्द हो या वे किसी तरह के रोगी हो,  गर्भवती व मासिक धर्म में भी यह आसन नहीं करना चाहिए. आसन करते समय पीड़ हो, तो आसन समाप्त कर विश्राम करें. 

वृक्षासन वीडियो – Vrikshasana videos

जैसा कि आप जानते ही है. वृक्षासन ( Vrikshasana ) में आपको खड़े रहकर आसन करना पड़ता है. लेकिन इस आसन को करने में भी कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है. आप Vrikshasana का अभ्यास करने में आसानी हो इसके लिए हम सदैव कुछ ना कुछ बदलाव अपने आर्टिकल में लाते रहेंगे.

इसकी सुरावत हम Vrikshasana videos से कर रहे है. मतलब यह कि इसकी शुरुआत हमे अपने आर्टिकल में विडियोज को सुविधा मुहैया करा कर कर रहे है. जिससे आप ज्यादा आसानी से किसी भी आसन को सीख सके. 

 

नोट : वृक्षासन ( Vrikshasana ) इस आसन को सीखने में आपको किसी तरह की समय आती है या आपके पास कोई सवाल है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं. या फिर आप किसी योगा विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं. सुरावात में आपको इस आसन का अभ्यास किसी योगा विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए. 

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