कर्नापीड़ासन – Karnapidasana in Hindi
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दोस्तों आज हम आपको कर्नापीड़ासन के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश करेंगे. Karnapidasana करने के अनेक लाभ हमे प्राप्त होते है. जिसके बारे में अगर कोई व्यक्ति जान लें, वो व्यक्ति अवश्य ही इस आसन का अभ्यास प्रारंभ कर दें.
यह कर्नापीड़ासन ( Karnapidasana ) को करने से मुख्य रूप से हमारे वीर्य दोषों को दूर करने में काफी मदद मिलती है. अगर किसी व्यक्ति को वीर्य दोष से जुड़ी कोई भी समस्या है, तो उस व्यक्ति को अवश्य ही कर्नापीड़ासन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए.
कर्नापीड़ासन क्या है? – what is Karnapidasana in Hindi
कर्नापीड़ासन ( Karnapidasana ) हलासन के बाद किया जाने वाला आसन है. यह रीढ़ की हड्डियों और कानों को सबल बनाता है एवं रक्त संचार व पाचन तंत्र को नियमित कर, कान, मस्तिष्क और शरीर को पोषित करता है. कर्नापीड़ासन से कंठ पर दबाव पड़ने के कारण स्वर्ण तंत्रिका में स्वास्थ होती है एवं गर्दन, कंठ के विकार दूर होते हैं.
अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करे तो उस व्यक्ति को काफी लाभ प्राप्त होते है. लेकिन इस आसन का अभ्यास करना काफी कठिन कार्य है. इस आसन का अभ्यास केवल वहीं लोग करें. जिन्हे योगा का अच्छा ज्ञान हो.
कर्नापीड़ासन करने की विधि – Karnapidasana karne ki vidhi
जमीन पर सीधे पेट के बल लेट जाएं. दोनों हाथों को जमीन के ऊपर शरीर से चिपका कर रखें, जिससे हथेली जमीन की तरफ हो. दोनों पैरों को साथ में मिला ले. पूरा शरीर पेट के बल लेटा हुआ एकदम सीधा रहे. सांस ले. पूरक लें और धीरे-धीरे हाथों को नीचे दबाते हुए दोनों पैरों को साथ-साथ कंधों के नीचे से सीधा उठाएं.
सबसे पहले 45 डिग्री से 90 डिग्री तक उठाएं. यह सर्वांगासन की स्थिति है. आप सांस छोड़ते हुए पैरों को सिर के पीछे की ओर मोड़ें. धीरे-धीरे पैरों को सिर के पीछे की ओर मोड़ें. धीरे-धीरे पैरों को पीछे की ओर झुकाना शुरू करें, जब तक की पंजे सिर के पीछे जमीन को ना छूने लगे.
यह हलासन की स्थिति है. अब पैरों को अंदर धड़ की तरफ खिंचे वा गुथने तक पैरों को जमीन पर लगा दे. जंघे करीब करीब धड़ से लगी होंगी व घुटनों से 90 डिग्री का कोण बनाएगी. घुटनों से अब दोनों कानों को दबाए.
दोनों पैर घुटने के नीचे पंजो तक सिर के पीछे जमीन में स्थित हो व सीधे हो. ठुड्डी सीने को अस्पष्ट स्पर्श करती हुई हो दोनों घुटनों से कानों को दबा रहे हो. दोनों हाथ सामने की ओर सीधा तने हो. यह कर्नापीड़ासन की पूर्ण स्थिति है. इस स्थिति में सहज सांस लें.
शुरू में 20 से 30 सेकंड आसन में रहे. बाद में इसे सुविधा अनुसार 3 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है. अब सांस भरते हुए धीरे से शरीर को झटका दिए बिना हाथों का सहारा लेकर पैरों को धीरे-धीरे पीछे तानते हुए हलासन में आए.
फिर जमीन पर धीरे-धीरे ले आए. सांस लेने की स्थिति पर आ जाएं. थोड़ा विश्राम करें. फिर दोहराए. इस आसन को सशक्त व जरूरत के अनुसार 2 से 5 बार करना चाहिए. इससे अधिक इस आसन का अभ्यास किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए.
कर्नापीड़ासन के फायदे – Karnapidasana benefits in hindi
कर्नापीड़ासन मैं हलासन के बहुत से लाभ भी मिलते हैं. मेरुदंड, स्पाइन व उसकी नाड़ियों, स्नायु तंत्र, मेरुदंड के मानको एवं उसके दोनों तरफ से जाने वाले मजा तंत्र को पोषण मिलता है. मेरुदंड कोमल एवं लचीला होता है.
अतः नियमित आसन करने वाला व्यक्ति फुर्तीला, सबल और यौवनमय बनता है. यह आसन स्नायु तंत्र को निरोग, सबल वा क्रियाशील बनाता है. इस आसन से पाचन तंत्र के सभी अंग क्रियाशील होते हैं. कब्ज, गैस, अजिंक्य रोगों में यह बहुत प्रभावशाली है.
लीवर, यकृत, अग्न्याशय, पेनक्रियाज आदि मजबूत होती है. इससे मधुमेह से राहत मिलती है. इस आसन से पेट के स्नायु एवं मांसपेशियां सशक्त होती है. मोटापा घटाने के लिए यह एक बहुत ही अच्छा आसन है. यौन शक्ति को सबल, क्षमता एवं स्थिर करने में मदद मिलता है.
अंडकोष वृद्धि को रोकता है. वीर्य दोष, राज दोष दूर करता है. हम ओज वर्धन करता है. कंठ पर दबाव पड़ने के कारण स्वतंत्र तंत्रिका स्वस्थ होती है एवं गर्दन, कंठ के विकार दूर होते हैं. इस आसन से रक्त संचार सुव्यवस्थित एवं सुचारु होता है, जिससे पूरा शरीर पोषित होता है.
थायराइड ग्रंथि सशक्त होती है. छाती, ह्रदय और फेफड़े सुधीर होते हैं. कानों व मस्तिष्क में रक्त संचार में सुधार होता है. उससे बहरापन वा कान के रोग दूर होते हैं. मस्तिष्क रोग दूर होते हैं. मस्तिष्क ज्यादा बुद्धिमान होते हैं.
बालों का झड़ना बंद होता है. बाल काले होते हैं. चेहरा कांति में होता है. नेत्र की ज्योति बढ़ती है. नाक, कान, आंख जी वादी ज्यादा क्रियाशील होते हैं. इस आशंका रोज अभ्यास करने से चेहरे पर एक निखार से उत्पन्न होता है.
कर्नापीड़ासन करने का समय – Karnapidasana karne ka samay
Karnapidasana का अभ्यास जो भी व्यक्ति करना चाहता है. उस व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास सुबह के समय खाली पेट में करना चाहिए. इससे फायदा जल्दी और अधिक समय तक होता है. आप इस आसन का अभ्यास खाली पेट करें. कुछ खाने के कुछ घंटों बाद भी आप इस आसन का अभ्यास कर सकते है.
कर्नापीड़ासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Karnapidasana side effect in Hindi
कोई भी आसन का अभ्यास करने से पूर्व आपको उससे जुड़े कुछ तथ्यों को अवश्य जान लेना चाहिए. कर्नापीड़ासन का अभ्यास आपको सावधानी पूर्वक करना चाहिए. जिससे आपको किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.
किसी भी गर्भवती महिला या स्तनपान कराने वाली महिला को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. इससे उन्हे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
इसका अभ्यास उन लोगो को भी नहीं करना चाहिए. जिन लोगो के कान दर्द, गर्दन दर्द या स्लिप डिस्क हो. सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, उच्च रक्तचाप, लीवर या लमबर के तकलीफ हो, तो यह आसन ना करें. इस आसन को करते समय दर्द या घबराहट हो, तो आसन को बीच में ही छोड़ दें.
दोस्तो कर्नापीड़ासन का अभ्यास करना थोड़ा कठिन कार्य है. क्यूंकि इस आसन को करना काफी कठिन होता है. खास कर उन लोगो के लिए जो लोग यह आसन पहली बार कर रहे है. इसलिए आपको किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इस आसन को सीखने में. इसलिए हम आपने आर्टिकल में Karnapidasana videos भी डाल देते है.
नोट : Karnapidasana के बारे में अगर आपके पास कोई भी सवाल है और आप उस सवाल का जवाब चाहते है, तो आप हमे ईमेल कर सकते है. हम आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे.